2 Comments अभी तक मैं चल रहा हूँ, चलता ही जा रहा हूँ By Himanshu Pandey November 10, 2008 (१) “बहुत दूर नहीं बहुत पास “ कहकर तुमने बहका दिया मैं बहक गया । (२) “एक,दो,तीन…..नहीं शून्य मूल्य-सत्य है…
समय का शोर By Himanshu Pandey November 3, 2008 जब ध्वनि असीम होकर सम्मुख हो तो कान बंद कर लेना बुद्धिमानी नहीं जो ध्वनि का सत्य है वह असीम…