जी दुखी अपना यह खंडहर देखकर By Himanshu Pandey April 14, 2009 कोई भाया न घर तेरा घर देखकर जी दुखी अपना यह खंडहर देखकर। आ गिरा हूँ तुम्हारी सुखद गोद में…