जिन्दगी ज़हीन हो गयी..
जिन्दगी ज़हीन हो गयी मृत्यु अर्थहीन हो गयी । रूप बिंध गया अरूप-सा सृष्टि दृश्यहीन हो गयी । भाव का…
जिन्दगी ज़हीन हो गयी मृत्यु अर्थहीन हो गयी । रूप बिंध गया अरूप-सा सृष्टि दृश्यहीन हो गयी । भाव का…
मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ घनी दुश्वारियाँ हमको बजा लें । मैं अनोखी टीस हूँ अनुभूति की कहो पाषाण…
बस आँख भर निहारो मसलो नहीं सुमन कोसंगी बना न लेना बरसात के पवन को । वह ही तो है…
उन्हें नब्ज अपनी थमा कर तो देखो दवा उनकी भी आजमा कर तो देखो । अभीं पीठ कर अपनी बैठे…
न गयी तेरी गरीबी तुम्हें माँगने न आया खूँटी पर उसके कपड़ा तुम्हें टाँगने न आया । दिन इतना चढ़…
सम्हलो कि चूक पहली इस बार हो न जाये सब जीत ही तुम्हारी कहीं हार हो न जाये। हर पग…