हा धिक! बीत रहा तट पर ही मन्थर समय हमारा (गीतांजलि का भावानुवाद)
I must launch out my boat. Thelanguid hours past by on the shore-Alas for me ! The spring has done…
I must launch out my boat. Thelanguid hours past by on the shore-Alas for me ! The spring has done…
उन्हें नब्ज अपनी थमा कर तो देखो दवा उनकी भी आजमा कर तो देखो । अभीं पीठ कर अपनी बैठे…
न गयी तेरी गरीबी तुम्हें माँगने न आया खूँटी पर उसके कपड़ा तुम्हें टाँगने न आया । दिन इतना चढ़…
राह यह भी है तुम्हारी राह वह भी है तुम्हारी कौन सी मेरी गली है यह न मैं चुन पा…
इस हिन्दी चिट्ठाकारी में कई अग्रगामी एवं पूर्व-प्रतिष्ठित चिट्ठाकारों की प्रविष्टियाँ सदैव आकृष्ट करती रहतीं हैं कुछ न कुछ लिखने…
निवृत्ति की चाह रहीअथ से भीइति से भी । अथ पर ही अटका मनइति को तो भूल गयागति भी अनजान…