पंक्ति पर टिप्पणी
मेरी प्रविष्टि ’बस आँख भर निहारो…
मेरी प्रविष्टि ’बस आँख भर निहारो…
बस आँख भर निहारो मसलो नहीं सुमन कोसंगी बना न लेना बरसात के पवन को । वह ही तो है…
जैनू ! तुम्हें देखकर ’निराला का भिक्षुक’ कभी याद नहीं आता। पेट और पीठ दोनों साफ-साफ दीखते हैं तुम्हारे और…
अपने ऊबड़-खाबड़ दर्द की जमीन न जाने कितनी बार मैंने बनानी चाही एक चिकनी समतल सतह की भाँतिपर कभी सामर्थ्य…
बचपन से देवेन्द्र कुमार के इस गीत को गाता-गुनगुनाता आ रहा हूँ, तब से जब ऐसे ही कुछ गीत-कवितायें गाकर…
कल आम खाते हुए मेरी भतीजी ने मुझसे पूछा – “फलों का राजा तो आम है । फलों की रानी…