आशा (कविता)
सुहृद!मत देखो-मेरी शिथिल मंद गति,खारा पानी आँखों का मेरे,देखो-अन्तर प्रवहितउद्दाम सिन्धु की धारऔर हिय-गह्वर कामधु प्यार। मीत!मत उलझो-यह जो उर…
सुहृद!मत देखो-मेरी शिथिल मंद गति,खारा पानी आँखों का मेरे,देखो-अन्तर प्रवहितउद्दाम सिन्धु की धारऔर हिय-गह्वर कामधु प्यार। मीत!मत उलझो-यह जो उर…
विलस रहा भर व्योमसोममन तड़प रहायह देख चांदनीविरह अश्रु छुप जाँय, छुपानाबादल तुम आना ।। 1 ।। झुलस रहा तृण-पातऔर…
भाव कै भूख न भीख कै भाषा सनेह क जानी न मीन न मेखा कवनें घरी रचलै बरम्हा मोके हाँथे…
करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं शैलबाला शतक के यह छन्द! शैलबाला शतक के प्रारंभिक चौबीस छंद…
शैलबाला शतक स्तुति नयनों के नीर से लिखी हुई पाती है। इसकी भाव भूमिका अनमिल है, अनगढ़ है, अप्रत्याशित है।…
[एक.] सलीका आ भी जाता सिसक उठता झाड़ कर धूल पन्नों की पढ़ता कुछ शब्द सुभाषित ढूंढ़ता झंकारता उर-तार राग…