मस्ती की लुकाठी लेकर चल रहा हूँ
मैं यह सोचता हूँ बार-बार की क्यों मैं किसी जीवन-दर्शन की बैसाखी लेकर रोज घटते जाते अपने समय को शाश्वत…
मैं यह सोचता हूँ बार-बार की क्यों मैं किसी जीवन-दर्शन की बैसाखी लेकर रोज घटते जाते अपने समय को शाश्वत…
दर्द सहता रहा उसे, सहता है अब तलक। दर्द ने अपनी हस्ती भर उसे चाहा उसकी शिराओं, मांसपेशियों से होते-…
आजकल मुझे हंसी बहुत आती है, सो आज मैं फ़िर हँसा। अब ‘ज्ञान जी‘ की प्रविष्टियों का स्मित हास, ‘ताऊ‘…
मैं सपनों का फेरीवाला, मुझसे सपन खरीदोगे क्या? यह सपने जो चला बेचने, सब तेरे ही दिए हुए हैं,इन सपनों…
मैं एक ब्लॉग टिप्पणी हूँ। अब टिप्पणी ही हूँ तो कितना कहूं। उतना ही न जितना प्रासंगिक हो, तो इतना…
एक कागज़ तुम्हारे दस्तख़त का मैंने चुरा लिया था, मैंने देखा कि उस दस्तख़त में तुम्हारा पूरा अक्स है। दस्तख़त…