उन्हें नब्ज अपनी थमा कर तो देखो
दवा उनकी भी आजमा कर तो देखो ।
अभीं पीठ कर अपनी बैठे जिधर तुम
उधर अपना मुख भी घुमाकर तो देखो ।
दरख्तों की छाया में है चैन कितना
कभी धूप में तमतमा कर तो देखो ।
सुघर साँवला जिसको आकर चुरा ले
कभी वह दही भी जमाकर तो देखो ।
जिसे बाँट कर खूब प्रमुदित रहो तुम
कभीं वह भी दौलत कमा कर तो देखो ।
Leave a Comment