बीतल जात सवनवाँ ना …(कजरी – 1)
सावन आया । आकर जा भी रहा है । मैंने कजरी नहीं सुनी, न गायी । वह रिमझिम बारिश ही…
सावन आया । आकर जा भी रहा है । मैंने कजरी नहीं सुनी, न गायी । वह रिमझिम बारिश ही…
बोध कथा वाराणसी के शासक ब्रह्मदत्त को अपने दोषों के संबंध में जानने की इच्छा थी। उसने राजभवन के सेवकों…
स्त्रियोचित प्रतिभाओं में सर्वाधिक प्रशंसित और आकर्षित करने वाली प्रतिभा उनका मधु-स्वर-संपृक्त होना है। स्त्री का मधुर स्वर स्वयं में…
तुम कौन हो ?जिसने यौवन का विराट आकाशसमेट लिया है अपनी बाहों में,जिसने अपनी चितवन की प्रेरणा सेठहरा दिया है…
बिजली आ गयी। हफ्ते भर बाद। ’बूड़े थे पर ऊबरे’। बिजली की अनुपस्थिति कुछ आत्मबोध करा देती है। रमणियों की…
तुम आयेविगत रात्रि के स्वप्नों में श्वांसों की मर्यादा के बंधन टूट गयेअन्तर में चांदनी उतर आयीजल उठी अवगुण्ठन में…