मुंशी प्रेमचन्द की कहानी गमी : जन्मदिवस विशेष

By Himanshu Pandey

मुंशी प्रेमचन्द की कहानी गमी मुझे जब कोई काम- जैसे बच्चों को खिलाना, ताश खेलना,, हारमोनियम बजाना, सड़क पर आने…

तुम्हें कौन प्यार करता है ?

By Himanshu Pandey

हे प्रेम-विग्रह !एक द्वन्द्व है अन्तर्मन में,दूर न करोगे ? मेरी चेतना के प्रस्थान-बिन्दु परआकर विराजो, स्नेहसिक्त !कि अनमनेपन से…

तुम्हारी याद आती है चले आओ, चले आओ (तुलसी जयंती पर तुलसी-स्मरण )

By Himanshu Pandey

आज तुलसी जयंती है । इन पंक्तियों के साथ इस विराट पुरुष का स्मरण कर रहा हूँ – अहो, नंदन…

सुकुमारी ने छुआ और खिल उठा प्रियंगु: वृक्ष दोहद-6

By Himanshu Pandey

  प्रियंगु अपनी अनेक संज्ञाओं, यथा फलप्रिया, शुभगा, नन्दिनी, मांगल्य, प्रिया, श्रेयसा, श्यामा, प्रियवल्लि, कृष्णपुष्पी इत्यादि के साथ प्राचीन संस्कृत…

आज मिललैं श्याम सावनी विहान में (कजरी 3)

By Himanshu Pandey

नाग-पंचमी की शुभकामनाओं सहित कजरी की इस प्रस्तुति के साथ यह कजरी-श्रृंखला समाप्त कर रहा हूँ – आज मिललैं श्याम…

बड़ा लागै नीक सखी ना ..(कजरी 2)

By Himanshu Pandey

श्याम हसलैं बोललैं बइठ के नजदीक सखीबड़ा लागै नीक सखी ना ॥ चमकै लिलरा जस अँजोरियादमकै बिजुरी अस दँतुरिया,मोहे अधरन…

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