लंठ महाचर्चा : प्राणों के रस से सींचा पात्र बाउ
एक आलसी का चिट्ठा। गिरिजेश भईया का चिट्ठा, स्वनाम कृतघ्न आलसी का चिट्ठा। यहाँ पहुँचते ही होंगे अवाक! टिप्पणी को…
एक आलसी का चिट्ठा। गिरिजेश भईया का चिट्ठा, स्वनाम कृतघ्न आलसी का चिट्ठा। यहाँ पहुँचते ही होंगे अवाक! टिप्पणी को…
Art thou abroad on this stormy night on the journey of love, my friend ? The sky groans like one…
पिछली प्रविष्टियों करुणावतार बुद्ध- एक, दो, तीन के बाद चौथी कड़ी- तृतीय दृश्य (यशोधरा का शयनकक्ष। रात्रि का प्रवेश काल…
पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -१ पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -२ पराजितों का उत्सव :…
पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -१ पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -२ से आगे…. आदमी है…
पिछली प्रविष्टि से आगे …. ना ! क़तई नहीं । आदमी कभी जुदा-जुदा नहीं होते । आदमी सब एक जैसे…