होली में कुछ मेरी भी सुन। मन, मत अपने में ही जल भुन ।। जब शोभित नर्तित त्वरित सरित पर वासंती चन्द्रिका धवल। विचरता पृष्ठ पर पोत पीत श्यामल अलि मृदुल मुकुल परिमल। कामिनी-केलि-कान्तार-क्वणित तुम कंकण किंकिणि नूपुर सुन ।…