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Article | आलेख, General Articles

माँ की गोद ही चैत्र नवरात्रि है ..

चैत्र नवरात्रि पर निबंध

एक ज्योति सौं जरैं प्रकासैं कोटि दिया लख बाती। जिनके हिया नेह बिनु सूखे तिनकी सुलगैं छाती। बुद्धि को सुअना मरमु न जानै कथै प्रीति की मैना। दिपै दूधिया ज्योति प्रकासैं घर देहरी अँगन। नवेली बारि धरैं दियना॥ —(आत्म प्रकाश…

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सुरसरि तीरवाँ खड़े हैं दुनो भईया रामा: केवट प्रसंग

केवट प्रसंग रामायण के अत्यन्त सुन्दर प्रसंगों में से एक है, खूब लुभाता है मुझे। करुण प्रसंगों के अतिरेक में यह प्रसंग बरबस ही स्नेहनहास का अद्भुत स्वरूप लेकर खड़ा होता है। विचारता हूँ राम की परिस्थिति को, कैकयी की…

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तेहिं तर ठाढ़ि हिरनियाँ : सोहर

अम्मा सोहर की पंक्तियाँ गुनगुना रही हैं – “छापक पेड़ छिउलिया कि पतवन गहवर हो…”। मन टहल रहा है अम्मा की स्वर-छाँह में। अनेकों बार अम्मा को गाते सुना है, कई बार अटका हूँ, भटका हूँ स्वर-वीथियों में। कितनों को…

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छठ पूजा : परम्परा एवं सन्दर्भ

छठ पूजा के सन्दर्भ में यह समझना होगा कि हमारी परम्परा में विभिन्न ईश्वरीय रूपों की उपासना के लिए अलग-अलग दिन-तिथियों का निर्धारण है। जैसे गणेश पूजा के लिए चतुर्थी, विष्णु-पूजा के लिए एकादशी आदि। इसी प्रकार सूर्य के लिए…

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प्रेम पंथ ऐसो कठिन

प्रेम की अबूझ माधुरी निरन्तर प्रत्येक के अन्तस में बजती रहती है। अनेकों को विस्मित करती है, मुग्ध करती है और जाने अनजाने जीवन की उन ऊँचाइयों पर ले जाती है जिनसे जीवन अपनी अक्षुण्णता में विरलतम हो जाता है।…

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सभ्यताएँ जंगलों का अनुसरण करती रही हैं

“सदा स तीर्थो भवति सदा दानं प्रयच्छति सदा यज्ञं स यजते यो रोपयति पादपम् ।” By Planting a single tree one gets as much ‘punya’ in life as residing eternally in a famous Tirth; always giving ‘danas’ and always performing…

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पाँच पुरुषों की कामिनियाँ

द्रौपदी के पाँच पुरुषों की पत्नी होने पर बहुत पहले से विचार–विमर्श होता रहा है । अनेक प्रकार के रीति–रिवाजों और प्रथाओं का सन्दर्भ लेकर इसकी व्याख्या की जाती रही है । अपने अध्ययन क्रम में मुझे अचानक ही श्री…

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हिन्दी ब्लॉग लेखन: टिप्पणीकारी: Sow the wind and reap the whirlwind

पिछली प्रविष्टि का शेष . “Sow the wind and reap the whirlwind” की प्रवृत्ति ने भी टिप्पणीकारी का चरित्र बहुत अधिक प्रभावित किया है । यह अनुभव भी बहुत कुछ प्रेरित करता रहा टिप्पणीकारी पर लिखने के लिये । मन…

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हिन्दी ब्लॉग लेखन: टिप्पणीकारी: जो मन ने कहा

टिप्पणीकारी को लेकर सदैव मन में कुछ न कुछ चलता रहता है। नियमिततः कुछ चिट्ठों का अध्ययन और उन चिट्ठों पर और खुद के चिट्ठे पर आयी टिप्पणियों का अवलोकन बार बार विवश करता रहा है कुछ व्यक्त करने के…

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रावण की भुजाओं के अस्त्र-शस्त्र एवं अन्य प्रतीक

आत्म रामायण के प्रतीकों की चर्चा करती हुई कल की प्रविष्टि का शेष आज लिख रहा हूँ । रावण की भुजाओं के अस्त्र-शस्त्र एवं काटने वाले बाण अस्त्र-शस्त्र काटने वाले बाण कुबुद्धिक मान पाप-बाण विश्चासघात चक्र हिंसा-खड्ग परद्रोह नेजा(बघ नख)…