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Article | आलेख

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Article | आलेख, Contemplation

प्रेम प्रलाप

A article on disappointment in love

मेरे प्रिय! हर घड़ी अकेला होना शायद बेहतर विकल्प है तुम्हारी दृष्टि में। मैं वह विकल्प नहीं बन सका जो  बनना चाहता था। मुझे मेरी अतिशय भावनाओं ने मारा, मेरे सारे बेहतर काम दब गये मेरी भावनाओं के प्रकटीकरण में।…

Article | आलेख, Translated Articles

आधुनिक मनुष्य कौन? : भाग 2

[डॉ० कार्ल गुस्ताव युंग (Carl Gustav Jung) का यह आलेख मूल रूप में तो पढ़ने का अवसर नहीं मिला, पर लगभग पचास साल पहले ’भारती’ (भवन की पत्रिका) में इस आलेख का हिन्दी रूपांतर प्रकाशित हुआ था, जिसे अपने पिताजी की…

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आधुनिक मनुष्य कौन? (आलेख)

आधुनिक मनुष्य कौन?: डॉ० कार्ल गुस्ताव युंग जिसे हम आधुनिक मनुष्य कहते हैं, जो तात्कालिक वर्तमान के प्रति सचेतन है, वह किसी भी सूरत में औसत आदमी तो नहीं ही है। आधुनिक मनुष्य वही है, जो चोटी पर खड़ा है,…

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मैं चिट्ठाकार हूँ, पर गिरिजेश राव जैसा तो नहीं

मैं चिट्ठाकार हूँ, पर गिरिजेश राव जैसा तो नहीं जो बने तो निपट आलसी पर रचे तो जीवन-स्फूर्ति का अनोखा  व्याकरण- बाउ। संस्कारशील गिरिजेश राव कहूँ?- शृंखलासापेक्ष, पर्याप्त अर्थसबल, नितान्त आकस्मिकता में भी पर्याप्त नियंत्रित। जो प्रकृति का शृंगार है-…

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माँ की गोद ही चैत्र नवरात्रि है ..

एक ज्योति सौं जरैं प्रकासैं कोटि दिया लख बाती। जिनके हिया नेह बिनु सूखे तिनकी सुलगैं छाती। बुद्धि को सुअना मरमु न जानै कथै प्रीति की मैना। दिपै दूधिया ज्योति प्रकासैं घर देहरी अँगन। नवेली बारि धरैं दियना॥ —(आत्म प्रकाश…

General Articles, भोजपुरी

सुरसरि तीरवाँ खड़े हैं दुनो भईया रामा: केवट प्रसंग

केवट प्रसंग रामायण के अत्यन्त सुन्दर प्रसंगों में से एक है, खूब लुभाता है मुझे। करुण प्रसंगों के अतिरेक में यह प्रसंग बरबस ही स्नेहनहास का अद्भुत स्वरूप लेकर खड़ा होता है। विचारता हूँ राम की परिस्थिति को, कैकयी की…

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गहगह वसंत

वसंत का चरण न्यास हुआ है। गज़ब है। आया तो आ ही गया। “फूली सरसों ने दिया रंग। मधु लेकर आ पहुँचा अनंग। वधु वसुधा पुलकित अंग-अंग….”। मतवाली कोयल की कूक से भरा, सिन्धुबार, कुन्द और सहकार से सुशोभित, गर्वीले…

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शील और अनुशासन

अब शील पर आयें! ’शील’ और ’अनुशासन’ में अन्तर है जरूर। शील को पूरी तरह न तो ज्ञान से ही जोड़ कर देख सकेंगे और न ही केवल शारीरिक क्रिया या व्यवहार से। हाँ, अनुशासन जरूर एक व्यवस्था है, जो…

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पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि (The Premature Obituary of the Book)-7

साहित्य क्यों? (Why Literature ?): मारिओ वर्गास लोसा (Mario Vargas Llosa) प्रस्तुत है पेरू के प्रख्यात लेखक मारिओ वर्गास लोसा के एक महत्वपूर्ण, रोचक लेख का हिन्दी रूपान्तर । ‘लोसा’ साहित्य के लिए आम हो चली इस धारणा पर चिन्तित…

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पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि (The Premature Obituary of the Book)-6

साहित्य क्यों ? (Why Literature ?) : मारिओ वर्गास लोसा (Mario Vargas Llosa) प्रस्तुत है पेरू के प्रख्यात लेखक मारिओ वर्गास लोसा के एक महत्वपूर्ण, रोचक लेख का हिन्दी रूपान्तर । ‘लोसा’ साहित्य के लिए आम हो चली इस धारणा…