यह ब्लॉग वर्ष 2008 से निरंतर गतिमान् है-कभी चटक, कभी मद्धिम।
विविध विषयों पर लिखा जाता रहा है इस ब्लॉग पर। साहित्य की विधाओं की खूब आँखमिचौनी है यहाँ। कविता तो इस ब्लॉग का प्राण है, पर आलेखों, निबन्धों व नाटकों ने इस ब्लॉग को जीवंत बनाया है। जीवन, संस्कृति, प्रेम, करुणा, सहभाग, सृष्टि, पर्यावरण, स्त्री और सौन्दर्य की अभिव्यक्ति है यहाँ- इसलिये ही तो यह रम्यांतर है।
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नल दमयंती: प्रारंभ
प्रथम दृश्य (राजमहल का दृश्य। निषध नरेश नल विदर्भ राजकुमारी दमयंती के विवाह के लिए आयोजित स्वयंवर में जाने से पूर्व अपने कुलगुरु से आशीर्वाद के लिए प्रस्तुत होते हैं। कुलगुरु को प्रणाम करते हैं।) कुलगुरु: कल्याण हो राजन्‌! हे...
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