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Songs and Ghazals

Ramyantar, Songs and Ghazals

ग़ज़ल – चाँदनी या मुख़्तसर सी धूप लाना, भूलना मत

नज़र में भरकर नज़र कुछ सिमट जाना, भूलना मत। देखना होकर मगन फिर चौंक जाना, भूलना मत। मौज़ खोकर ज़िन्दगी ग़र आ किनारों में फँसे नाव अपनी खींचकर मझधार लाना, भूलना मत। न पाया ढूढ़कर भी दर्द दिल ने बेखबर…

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जिन्दगी ज़हीन हो गयी..

जिन्दगी ज़हीन हो गयी मृत्यु अर्थहीन हो गयी । रूप बिंध गया अरूप-सा सृष्टि दृश्यहीन हो गयी । भाव का अभाव घुल गया भावना तल्लीन हो गयी । टूट गयी सहज बाँसुरी व्यथा तलफत मीन हो गयी । बाँध लूँ…

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मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ…

मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ घनी दुश्वारियाँ हमको बजा लें । मैं अनोखी टीस हूँ अनुभूति की कहो पाषाण से हमको सजा लें । मैं झिझक हूँ, हास हूँ, मनुहार हूँ प्रणय के राग में इनका मजा लें ।…

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बस आँख भर निहारो मसलो नहीं सुमन को

बस आँख भर निहारो मसलो नहीं सुमन कोसंगी बना न लेना बरसात के पवन को । वह ही तो है तुम्हारा उसके तो तुम नहीं होबेचैन कर रहा क्यों समझा दो अपने मन को । न नदी में बाँध बाँधो…

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दवा उनकी भी आजमा कर तो देखो

उन्हें नब्ज अपनी थमा कर तो देखो दवा उनकी भी आजमा कर तो देखो । अभीं पीठ कर अपनी बैठे जिधर तुमउधर अपना मुख भी घुमाकर तो देखो । दरख्तों की छाया में है चैन कितना कभी धूप में तमतमा…

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न गयी तेरी गरीबी तुम्हें माँगने न आया

न गयी तेरी गरीबी तुम्हें माँगने न आया खूँटी पर उसके कपड़ा तुम्हें टाँगने न आया । दिन इतना चढ़ गया तूँ अभीं ले रहा जम्हाई गाफिल है नींद में ही तुम्हें जागने न आया । एक अंधे श्वान सा…

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सम्हलो कि चूक पहली इस बार हो न जाये(गज़ल)

सम्हलो कि चूक पहली इस बार हो न जाये सब जीत ही तुम्हारी कहीं हार हो न जाये। हर पग सम्हल के रखना बाहर हवा विषैली नाजुक है बुद्धि तेरी बीमार हो न जाये। अनुकूल कौन-सा तुम मौका तलाशते हो…

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जी दुखी अपना यह खंडहर देखकर

कोई भाया न घर तेरा घर देखकर जी दुखी अपना यह खंडहर देखकर। आ गिरा हूँ तुम्हारी सुखद गोद में चिलचिलाती हुई दोपहर देखकर। साँस में घुस के तुमने पुकारा हमेंहम तो ठिठके थे लम्बा सफर देखकर। अब किसी द्वार…

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ले प्रसाद जय बोल ..

बजी पांचवी शंखकथा वाचक द्रुतगामी की।ले प्रसाद जय बोलसत्यनारायण स्वामी की। फलश्रुति बोले जब मन होचूरन हलवा बनवाओबांट-बांट खाओ पंचामृतमें प्रभु को नहलाओ,इससे गलती धुल जायेगीक्रोधी-कामी की। ले प्रसाद जय बोलसत्यनारायण स्वामी की। कलश नवग्रह गौरी गणपतिपर दक्षिणा चढ़ाओ।ठाकुर जी…

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अब तो चले जाना है

Marigold (Photo credit: soul-nectar) कहता है विरहित मन, कर ले तू कोटि जतन रुकना अब हाय नहीं, अब तो चले जाना है । छूटेंगे अखिल सरस, सुख के दिन यों पावस हास कहीं रूठेगा, बोलेगा बस-बस-बस दिन में अन्धेरा अब…