तुमने मुझे एक घड़ी दी थी
तुम्हें याद है… तुमने मुझे एक घड़ी दी थी- कुहुकने वाली घड़ी। मेरे हाँथों में देकर मुस्कुराकर कहा था, “इससे…
तुम्हें याद है… तुमने मुझे एक घड़ी दी थी- कुहुकने वाली घड़ी। मेरे हाँथों में देकर मुस्कुराकर कहा था, “इससे…
के० शिवराम कारंत Kota Shivaram Karanth – भारतीय भाषा साहित्य का एक उल्लेखनीय नाम, कन्नड़ साहित्य की समर्थ साहित्यिक विभूति,…
मैं सहजता की सुरीली बाँसुरी हूँ घनी दुश्वारियाँ हमको बजा लें । मैं अनोखी टीस हूँ अनुभूति की कहो पाषाण…
उन दिनों जब दीवालों के आर-पार देख सकता था मैं अपनी सपनीली आँखों से, जब पौधों की काँपती अँगुलियाँ मेरी…
एक समय महाराष्ट्र में वर्षा न होने से भीषण जलकष्ट हुआ; पशु और मनुष्य दोनों ही त्रस्त हो गये। तब…
पूर्व और पश्चिम की संधि पर खड़े युगपुरुष ! तुम सदैव भविष्योन्मुख हो, मनुष्यत्व की सार्थकता के प्रतीक पुरुष हो,…