रूपसी गले मिलो! कि कुरबक फूल उठे: वृक्ष दोहद-3

यूँ तो अनगिनत पुष्प-वृक्षों को मैंने जाना पहचाना नहीं, परन्तु वृक्ष दोहद के सन्दर्भ में कुरबक का नाम सुनकर मन…

फूलो अमलतास! सुन्दरियाँ थिरक उठी हैं: वृक्ष दोहद-2

स्वर्ण-पुष्प वृक्ष की याद क्यों न आये इस गर्मी में। कौन है ऐसा सिवाय इसके जो दुपहरी से उसकी कान्ति…

टिप्पणी अदृश्य होकर करते हैं हम …

By Himanshu Pandey

आशीष जी की पोस्ट पढ़कर टिप्पणी नियंत्रण का हरबा-हथियार (मॉडरेशन) हमने भी लगाया ही था कि पहली टिप्पणी अज्ञात साहब की…

रमणियों की ठोकर से पुष्पित हुआ अशोक: वृक्ष दोहद-1

By Himanshu Pandey

वृक्ष दोहद की संकल्पना के पीछे प्रकृति के साथ मनुष्य का वह रागात्मक संबंध है जिससे प्रेरित होकर अन्यान्य मानवीय…

Exit mobile version