वाक् वैदग्ध्य, हास्य और चुनाव का महापर्व
आजकल चुनावों का महापर्व ठाठें मार रहा है। इस महापर्व के संवाद-राग में मैने वाक् वैदग्ध्य के प्रकार ढूंढे। माफी…
आजकल चुनावों का महापर्व ठाठें मार रहा है। इस महापर्व के संवाद-राग में मैने वाक् वैदग्ध्य के प्रकार ढूंढे। माफी…
हम घोर आश्चर्य और निराशा के घटाटोप में घिर गये हैं। अपने पूर्वजों पर दृष्टि डालते हैं तो देखते हैं…
(Photo credit: Wikipedia) हमारे आर्य-साहित्य का जो ‘प्रथम पुरुष’ है, अंग्रेजी का ‘थर्ड पर्सन’ (Third Person), मैं उसकी तलाश में…
“ऐसी मँहगाई है कि चेहरा ही बेंच कर अपना खा गया कोई। अब न अरमान हैं न सपने हैं सब…
What she had created…. साल भर पहले जब वह एक हफ्ते के लिए मेरे घर आयी थी, उसे ‘ई-मेल’ करना…
“पहले आती थी हाले दिल पे हंसी अब किसी बात पर नहीं आती ।” कैसे आए? मात्रा का प्रतिबन्ध है।…