वहाँ भी डाकिया होगा?
enveloppen (Photo credit: Wikipedia) क्यों ऐसा होता था कि डाकिया रोज आता था पर तुम्हारा लिखा हुआ पत्र नहीं लाता…
कविता श्रेणी के अन्तर्गत छंदबद्ध एवं छंदमुक्त कविताएँ संकलित की गई हैं। साथ ही ग़ज़लें, गीत, हाइकु, दोहे इत्यादि भी इसी श्रेणी में उपश्रेणियाँ बनाकर प्रकाशित की गई हैं। छंदबद्ध कविताओं के अन्तर्गत सुभाषित, भजन, क्रियात्मक गीत एवं संवाद गीत संकलित हैं तथा छंदमुक्त कविताओं के अन्तर्गत मुक्त छंद की कविताएँ, हाइकु एवं लघु कविताएँ संकलित हैं। यह कविताएँ स्वरचित भी हैं तथा अन्य कवियों की भी प्रिय रचनायें किसी विशेष प्रयोजनवश सुविधानुसार प्रकाशित की गई हैं।
enveloppen (Photo credit: Wikipedia) क्यों ऐसा होता था कि डाकिया रोज आता था पर तुम्हारा लिखा हुआ पत्र नहीं लाता…
(Photo credit: MarianOne) आज फिर एक चहकता हुआ दिन गुमसुमायी सांझ में परिवर्तित हो गया, दिन का शोर खामोशी में…
दिन गये, तो ठीक न गये, रुके रहे तो और भी ठीक। रात गयी, तो ठीक न गयी, रुकी रही…
विश्वास के घर मेंअमरुद का एक पेड़ थाएक दिनउस पेड़ की ऊँची फ़ुनगी परएक उल्लू बैठा दिखा,माँ ने कहा- ‘उल्लू’पिता…
Marigold (Photo credit: soul-nectar) कहता है विरहित मन, कर ले तू कोटि जतन रुकना अब हाय नहीं, अब तो चले…
Woman (Source: in.com) देखा मैंने, चल रही थी ‘बस’। विचार उद्विग्न हो आये विस्तार के लिये संघर्ष कर रहे संकीर्ण…