पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि (The Premature Obituary of the Book): 3
The Premature Obituary of the Book : Why Literature? जनसामान्य के उद्भव और उसके लक्ष्य के प्रति चेतना का सृजन…
The Premature Obituary of the Book : Why Literature? जनसामान्य के उद्भव और उसके लक्ष्य के प्रति चेतना का सृजन…
पुस्तक को असमय श्रद्धांजलि: साहित्य क्यों? (Why Literature?) हम ज्ञान के विशिष्टीकरण के युग में रह रहे हैं। धन्यवाद देता…
The time that my journey takes is long and the way of it long. I came out on the chariot…
‘मोहरे वही, बिसात भी वही और खिलाड़ी भी…/ यह कैसे हुआ मीत /….’ बहुत पहले सुना था इस गीत को…
आज देखा तुम्हें अन्तर के मधुरिल द्वीप पर ! निज रूपाकाश में मधुरिम प्रभात को पुष्पायित करती, हरसिंगार के कुहसिल…
विकल हूँ, पहचान लूँ मैं कौन-सी वह पीर है ! अभीं आया नहीं होता वसन्त तभीं उजाड़ क्यों हो जाती…