Ramyantar

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अति प्रिय तुम हमसे अनन्य हो गये..

By Himanshu Pandey

चारुहासिनी (मेरी भतीजी) की जिद है, इसलिये ये स्वागत-गीत यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ । उसके स्कूल में इस स्वतंत्रता…

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जागो मेरे संकल्प मुझमें ….

By Himanshu Pandey

जागो मेरे संकल्प मुझमें कि भोग की कँटीली झाड़ियों में उलझे, भरपेट खाकर भी प्रतिपल भूख से तड़पते स्वर्ण-पिंजर युक्त…

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कैसे ठहरेगा प्रेम जन्म-मृत्यु को लाँघ …

By Himanshu Pandey

तुम आते थे मेरे हृदय की तलहटी में मेरे संवेदना के रहस्य-लोक में मैं निरखता था- मेरे हृदय की श्यामल…

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