120

रमणी के नर्म वाक्यों से फूल उठा मंदार : वृक्ष दोहद-8

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

मुझे क्षण-क्षण मुग्ध करती, सम्मोहित करती वृक्ष दोहद की चर्चा जारी है। मंदार की चर्चा शेष थी अभी। कैसा विश्वास…

11

निर्निमेष अविरत दृष्टि

By Himanshu Pandey

कई बार निर्निमेषअविरत देखता हूँ उसे यह निरखनाउसकी अन्तःसमता को पहचानना है मैं महसूस करता हूँनदी बेहिचक बिन विचारेअपना सर्वस्व…

3

एक शान्त मन ही व्रती होता है

By Himanshu Pandey

आजकल एक किताब पढ़ रहा हूँ – आचार्य क्षेमेन्द्र की औचित्य-दृष्टि। किताब बहुत पुरानी है- आवरण के पृष्ठ भी नहीं…

Exit mobile version