रमणी के नर्म वाक्यों से फूल उठा मंदार : वृक्ष दोहद-8
मुझे क्षण-क्षण मुग्ध करती, सम्मोहित करती वृक्ष दोहद की चर्चा जारी है। मंदार की चर्चा शेष थी अभी। कैसा विश्वास…
मुझे क्षण-क्षण मुग्ध करती, सम्मोहित करती वृक्ष दोहद की चर्चा जारी है। मंदार की चर्चा शेष थी अभी। कैसा विश्वास…
शिक्षक-दिवस पर प्रस्तुत कर रहा हूँ ’हेनरी एल० डेरोजिओ”(Henry L. Derozio) की कविता ’To The Pupils’ का भावानुवाद – मैं…
मेरा एक विद्यार्थी ! या और भी कुछ । कई सीमायें अतिक्रमित हो जाती हैं । आज निश्चित अंतराल पर…
ढोलक टुनटुनाते हुए, इस वर्ष भी गाते हुए बाबा आ गये । हमने कई बार अपना ठिकाना बदला- दो चार…
कई बार निर्निमेषअविरत देखता हूँ उसे यह निरखनाउसकी अन्तःसमता को पहचानना है मैं महसूस करता हूँनदी बेहिचक बिन विचारेअपना सर्वस्व…
आजकल एक किताब पढ़ रहा हूँ – आचार्य क्षेमेन्द्र की औचित्य-दृष्टि। किताब बहुत पुरानी है- आवरण के पृष्ठ भी नहीं…