23

सुन्दरियों के गान से विकसित हुआ नमेरु: वृक्ष दोहद-5

Himanshu Pandey By Himanshu Pandey

स्त्रियोचित प्रतिभाओं में सर्वाधिक प्रशंसित और आकर्षित करने वाली प्रतिभा उनका मधु-स्वर-संपृक्त होना है। स्त्री का मधुर स्वर स्वयं में…

13

क्या ब्लॉग साहित्य है? – मेरी हाजिरी

By Himanshu Pandey

बिजली आ गयी। हफ्ते भर बाद। ’बूड़े थे पर ऊबरे’। बिजली की अनुपस्थिति कुछ आत्मबोध करा देती है। रमणियों की…

8

मैं कैसे प्रेमाभिव्यक्ति की राह चलूँ .

By Himanshu Pandey

तुम आयेविगत रात्रि के स्वप्नों में श्वांसों की मर्यादा के बंधन टूट गयेअन्तर में चांदनी उतर आयीजल उठी अवगुण्ठन में…

22

शुभे! मृदु-हास्य से चम्पक खिला दो: वृक्ष दोहद-4

By Himanshu Pandey

यह देखिये कि बूँदे बरसने लगीं हैं, सूरज की चातुरी मुंह छुपा रही है और ग्रीष्म ने हिला दिये हैं…

17

दोनों हाँथ जोड़कर…

मैं अपनी कवितायेंतुम्हें अर्पित करता हूँजानता हूँकि इनमें खुशियाँ हैंऔर प्रेरणाएँ भीजो यूँ तो सहम जाती हैंघृणा और ईर्ष्या के…

Exit mobile version