सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 71-75)

By Himanshu Pandey

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद समं देवि स्कन्दद्विपवदनपीतं स्तनयुगं तवेदं नः खेदं हरतु सततं प्रस्नुतमुखम्।यदालोक्याशंकाकुलितहृदयो हासजनकःस्वकुम्भौ हेरम्बः परिमृशति हस्तेन झटिति॥71॥ संग…

मैं चिट्ठाकार हूँ, पर गिरिजेश राव जैसा तो नहीं

मैं चिट्ठाकार हूँ, पर गिरिजेश राव जैसा तो नहीं जो बने तो निपट आलसी पर रचे तो जीवन-स्फूर्ति का अनोखा …

माँ की गोद ही चैत्र नवरात्रि है ..

By Himanshu Pandey

एक ज्योति सौं जरैं प्रकासैं कोटि दिया लख बाती। जिनके हिया नेह बिनु सूखे तिनकी सुलगैं छाती। बुद्धि को सुअना…

सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 66-70)

By Himanshu Pandey

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद कराग्रेण स्पृष्टं तुहिनगिरिणा वत्सलतयागिरीशेनोदस्तं मुहुरधरपानाकुलतया करग्राह्यं शंभोर्मुखमुकुरवृन्तं गिरिसुते कथंकारं ब्रूमस्तव चुबुकमौपम्यरहितम्॥66॥ पाणि सेवात्सल्यवशजिसको दुलारा हिमशिखर नेअधरपानाकुलितजिसकोकिया स्पर्शित…

जाग जाये यह मेरा देश (गीतांजलि का भावानुवाद)

By Himanshu Pandey

यह देश अपूर्व, अद्भुत क्षमताओं का आगार है। यहाँ जो है, कहीं नहीं है, किन्तु यहाँ जो होता दिख रहा…

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