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फाग

Poetry

तुम्हीं मिलो, रंग दूँ तुमको, मन जाए मेरा फागुन

Man Jaye Mera FAgun

जग चाहे किसी महल में अपने वैभव पर इतराएया फिर कोई स्वयं सिद्ध बन अपनी अपनी गाएमौन खड़ी सुषमा निर्झर की बिखराये मादक रुन-झुनतुम्हीं मिलो, रंग दूँ तुमको, मन जाए मेरा फागुन।  यूँ तो ऋतु वसन्त में खग-कुल अनगिन राग…

Ramyantar

को सजनी निलजी न भई, अरु कौन भटू जिहिं मान बच्यौ है

१. (राग केदार) पकरि बस कीने री नँदलाल। काजर दियौ खिलार राधिका, मुख सों मसलि गुलाल॥ चपल चलन कों अति ही अरबर, छूटि न सके प्रेम के जाल। सूधे किए अंक ब्रजमोहन, आनँदघन रस-ख्याल॥ २. (राग सोरठ) मनमोहन खेलत फाग…