मैं जानता हूँ तुम्हारे भीतर कोई ’क्रान्ति’ नहीं पनपती पर बीज बोना तुम्हारा स्वभाव है। हाथ में कोई ‘मशाल’ नहीं है तुम्हारे पर तुम्हारे श्रम-ज्वाल से भासित है हर दिशा। मेरे प्यारे ’मज़दूर’! यह तुम हो जो धरती की गहरी…