बचपन से देवेन्द्र कुमार के इस गीत को गाता-गुनगुनाता आ रहा हूँ, तब से जब ऐसे ही कुछ गीत-कवितायें गाकर विद्यालय के पुरस्कार झटकने का उत्साह रहा करता था। आज बुखार में तपता रहा सारे दिन। कई बार बोझिल मन…