अब शील पर आयें! ’शील’ और ’अनुशासन’ में अन्तर है जरूर। शील को पूरी तरह न तो…
“वसंत एक दूत है विराम जानता नहीं, संदेश प्राण के सुना गया किसे पता नहीं । पिकी…
छायावादी कवियों की नवीन चेतना के प्रसार के परिणामस्वरूप छायावादी रूढ़ि विद्रोही नवीन युग बोध ने इन्हें…
“पहले आती थी हाले दिल पे हंसी अब किसी बात पर नहीं आती ।” कैसे आए? मात्रा…
कल के अखबार पढ़े, आज के भी। पंक्तियाँ जो मन में कौंधती रहीं- “अब जंग टालने की…