Ramyantar

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कई बार निर्निमेष अविरत देखता हूँ उसे

By Himanshu Pandey

कई बार निर्निमेष अविरत देखता हूँ उसे यह निरखना उसकी अन्तःसमता को पहचानना है मैं महसूस करता हूँ नदी बेहिचक…

दिनों दिन सहेजता रहा बहुत कुछ …

By Himanshu Pandey

(१)दिनों दिन सहेजता रहा बहुत कुछजो अपना था, अपना नहीं भी था,मुट्ठी बाँधे आश्वस्त होता रहाकि इस में सारा आसमान…

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