साहित्य में शील हास्य का आलंबन माना जाता है। आतंकवाद की तत्कालीन घटना के बाद पता चला कि निर्लज्ज भी कैसे हास्य के आलंबन हो जाते हैं? और समझते हैं कि निर्लज्ज तीन बार हँसाता है, कैसे? सुना तो गोपियों…