सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर त्वदीयं सौंदर्यं तुहिनगिरि कन्ये तुलयितुं ।कवींद्राः कल्पंते कथमपि विरिंचि प्रभृतयः ॥यदालोकौत्सुक्यादमरललना यांति मनसा ।तपोभिर्दुष्प्रापामपि गिरिशसायुज्यपदवीम् ॥१२॥ तुलित करने को तुम्हाराअपरिमित सौन्दर्य अनुपमविधातादि कवीन्द्रकिंचित कल्पनाओं में विचरतेसमुद अवलोकन तुम्हाराकर मनोगत वसुमती सेअमर ललनायें विलसतींसहज शिवसायुज्य…