Social Icons

Press ESC to close

सौन्दर्य-लहरी

22   Articles in this Category

सौन्दर्य लहरी संस्कृत के स्तोत्र-साहित्य का गौरव-ग्रंथ व अनुपम काव्योपलब्धि है। आचार्य शंकर की चमत्कृत करने वाली मेधा का दूसरा आयाम है यह काव्य। निर्गुण, निराकार अद्वैत ब्रह्म की आराधना करने वाले आचार्य ने शिव और शक्ति की सगुण रागात्मक लीला का विभोर गान किया है सौन्दर्य-लहरी में। इस ब्लॉग पर इस अनुपम काव्य का हिन्दी भावानुवाद क्रमशः प्रकाशित है।

Explore

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद प्रकृत्या‌‌ऽऽरक्तायास्तव सुदति दंतच्छदरुचेःप्रवक्ष्ये सादृश्यं जनयतु फलं विद्रुमलतान बिबं तद्बिबं प्रतिफलन रागादरुणितंतुलामध्यारोढुं कथमिव…

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्य रूपांतर दृशा द्राघीयस्या दरदलितनीलोत्पलरुचादवीयांसं दीनं स्नपय कृपया मामपि शिवेअनेनायं धन्यो भवति न…

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद   गते कर्णाभ्यर्णं गरुत एव पक्ष्माणि दधतीपुरां भेत्तुश्चित्तप्रशमरसविद्रावणफले इमे नेत्रे गोत्राधरपतिकुलोत्तंस कलिकेतवाकर्णाकृष्ट स्मरशरविलासं…

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद भ्रुवौ भुग्ने किं चिद्‌भुवनभयभंगव्यसनिनित्वदीये नेत्राभ्यां मधुकररुचिभ्यां धृतगुणम्‌ ॥धनुर्मन्ये सव्येतरकरगृहीतं रतिपतेःप्रकोष्ठे मुष्टौ च…

सौन्दर्य लहरी संस्कृत के स्तोत्र-साहित्य का गौरव-ग्रंथ व अनुपम काव्योपलब्धि है। आचार्य शंकर की चमत्कृत करने वाली…