दवा उनकी भी आजमा कर तो देखो
उन्हें नब्ज अपनी थमा कर तो देखो दवा उनकी भी आजमा कर तो देखो । अभीं पीठ कर अपनी बैठे…
उन्हें नब्ज अपनी थमा कर तो देखो दवा उनकी भी आजमा कर तो देखो । अभीं पीठ कर अपनी बैठे…
न गयी तेरी गरीबी तुम्हें माँगने न आया खूँटी पर उसके कपड़ा तुम्हें टाँगने न आया । दिन इतना चढ़…
सम्हलो कि चूक पहली इस बार हो न जाये सब जीत ही तुम्हारी कहीं हार हो न जाये। हर पग…
कोई भाया न घर तेरा घर देखकर जी दुखी अपना यह खंडहर देखकर। आ गिरा हूँ तुम्हारी सुखद गोद में…
बजी पांचवी शंखकथा वाचक द्रुतगामी की।ले प्रसाद जय बोलसत्यनारायण स्वामी की। फलश्रुति बोले जब मन होचूरन हलवा बनवाओबांट-बांट खाओ पंचामृतमें…
Marigold (Photo credit: soul-nectar) कहता है विरहित मन, कर ले तू कोटि जतन रुकना अब हाय नहीं, अब तो चले…