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अनुभूति

Ramyantar

अनुभूति..

आज देखा तुम्हें अन्तर के मधुरिल द्वीप पर ! निज रूपाकाश में मधुरिम प्रभात को पुष्पायित करती, हरसिंगार के कुहसिल फूल-सी, प्रणय-पर्व की मुग्ध कथा-सी बैठी थीं तुम ! अपने लुब्ध नयनों से ढाँक कर ताक रहा था तुम्हें !…

Contemplation, चिंतन

अकेलापन

अज्ञेय की पंक्ति- “मैं अकेलापन चुनता नहीं हूँ, केवल स्वीकार करता हूँ”- मेरे निविड़तम एकान्त को एक अर्थ देती हैं। मेरा अकेलापन अकेलेपन के एकरस अर्थ से ऊपर उठकर एक नया अर्थ-प्रभाव व्यंजित करने लगता है। मेरा यह एकान्त संवेदना…