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प्रकृति

Article | आलेख, General Articles

माँ की गोद ही चैत्र नवरात्रि है ..

चैत्र नवरात्रि पर निबंध

एक ज्योति सौं जरैं प्रकासैं कोटि दिया लख बाती। जिनके हिया नेह बिनु सूखे तिनकी सुलगैं छाती। बुद्धि को सुअना मरमु न जानै कथै प्रीति की मैना। दिपै दूधिया ज्योति प्रकासैं घर देहरी अँगन। नवेली बारि धरैं दियना॥ —(आत्म प्रकाश…

Article | आलेख

गहगह वसंत

वसंत का चरण न्यास हुआ है। गज़ब है। आया तो आ ही गया। “फूली सरसों ने दिया रंग। मधु लेकर आ पहुँचा अनंग। वधु वसुधा पुलकित अंग-अंग….”। मतवाली कोयल की कूक से भरा, सिन्धुबार, कुन्द और सहकार से सुशोभित, गर्वीले…

Ramyantar

कौन-सी वह पीर है ?

विकल हूँ, पहचान लूँ मैं कौन-सी वह पीर है ! अभीं आया नहीं होता वसन्त तभीं उजाड़ क्यों हो जाती है वनस्थली, क्यों हवा किसी नन्दन-वन का प्रिय-परिमल बाँटती फिरती है गली-गली, और किसी सपनीली  रात में क्यों कोयल चीख-चीख…