साढ़े छः बजे हैं अभी। नींद खुल गयी है पूरी तरह। पास की बन्द खिड़की की दरारों…
हमेशा बाहर की खिड़की से एक हवा आती है- भोर की हवा, और चुपचाप कोई न कोई…
साढ़े छः बजे हैं अभी। नींद खुल गयी है पूरी तरह। पास की बन्द खिड़की की दरारों…
हमेशा बाहर की खिड़की से एक हवा आती है- भोर की हवा, और चुपचाप कोई न कोई…