सौन्दर्य लहरी का हिन्दी भाव रूपांतर क्वणत्कांची दामा करिकलभकुम्भस्तननता ।परिक्षीणा मध्ये परिणतशरच्चन्द्रवदना ॥धनुर्वाणान्पाशं सृणिमाप दधाना करतलैः ।पुरस्तादास्तां नः पुरमथितुराहोपुरुषिका ॥७॥ पुरविनाशन शंभु की पुरुषत्वप्रबोधिनीअति कृशा कटि प्रांत पर कल किंकिणी धारेबालगज के कुम्भ से उन्नत उरोजों का सम्हाले भारविनता मध्यभागाशरच्चन्द्रमुखासुशोभित…