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Ramyantar

Capsule Poetry, Ramyantar

मेरे प्यारे मज़दूर

मैं जानता हूँ तुम्हारे भीतर कोई ’क्रान्ति’ नहीं पनपती पर बीज बोना तुम्हारा स्वभाव है। हाथ में कोई ‘मशाल’ नहीं है तुम्हारे पर तुम्हारे श्रम-ज्वाल से भासित है हर दिशा। मेरे प्यारे ’मज़दूर’! यह तुम हो जो धरती की गहरी…

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सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 95-102)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्य रूपांतर स्वदेहोद्भूताभिर्घृणिभिरणिमाद्याभिरभितो,निषेवे नित्ये त्वामहमिति सदा भावयति यः।किमाश्चर्यं तस्य त्रिनयनसमृद्धिं तृणयतो,महासंवर्ताग्निविरचयति नीराजनविधिं ॥95॥स्वशरीरोद्भूत किरणसमूहअणिमादिक सुसेवितजो स्वरूप त्वदीय नितकरता निषेवितअहं भावितकौन सा आश्चर्यशंभुसमृद्धि वहसाधकशिरोमणितृणसदृश गिनताप्रलय का प्रज्ज्वलितपावक दहन भीअभय नीराजन बना लेतास्वरूपविलासिनी हे! समुद्भूतस्थूलस्तन भरमुरश्चारुहसितंकटाक्षे कन्दर्पाः कतिचन…

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सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 88-94)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्य रूपांतर नखैर्नाकस्त्रीणां करकमलसङ्कोचशशिभिःतरूणां दिव्यानां हसत इव ते चण्डि चरणौ।फलानि स्वःस्थेभ्यः किसलय-कराग्रेण ददतांदरिद्रेभ्यो भद्रां श्रियमनिशमह्नाय ददतौ ॥88॥पद तुम्हारेनिज सुधाकर नख अवलि सेस्वर्गललना के सरोरुह पाणितल कोसंकुचित देते बना हैंचण्डि!तेरे चरणद्वयदेवेन्द्रवन स्थित कल्पतरु काभी सदा उपहास करते…

Ramyantar

को सजनी निलजी न भई, अरु कौन भटू जिहिं मान बच्यौ है

१. (राग केदार) पकरि बस कीने री नँदलाल। काजर दियौ खिलार राधिका, मुख सों मसलि गुलाल॥ चपल चलन कों अति ही अरबर, छूटि न सके प्रेम के जाल। सूधे किए अंक ब्रजमोहन, आनँदघन रस-ख्याल॥ २. (राग सोरठ) मनमोहन खेलत फाग…

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सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 81-87)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्य रूपांतर करीन्द्राणां शुण्डान् कनककदलीकाण्डपटली-मुभाभ्यामूरुभ्यामुभयमपि निर्जित्य भवति।सुवृत्ताभ्यां पत्युः प्रणतिकठिनाभ्यां गिरिसुतेविधिज्ञे जानुभ्यां विबुधकरिकुम्भद्वयमसि॥81॥करिवरों के शुण्ड कोकंचन कदलि के खंभ द्वय कोकर दिया करतीं पराजित युगल जंघायें तुम्हारीजानुजो पति को प्रणति करतेसुवृत्त हुए कठिन हैंजीतती उनसेविवुध करि कुम्भ द्वयहे…

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अर्चना जी का स्वर : है महाराज प्रार्थना यही (गीतांजलि)

कुछ दिनों पहले गुरुदेव की गीतांजलि के भावानुवाद के क्रम में  उनके गीत “This is my prayer to thee..” का बाबूजी द्वारा किया भावानुवाद ” है महाराज प्रार्थना यही ” इस ब्लॉग पर प्रकाशित हुआ था। इस गीत को अर्चना…

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सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 76-80)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्य रूपांतर यदेतत्कालिन्दी तनुतरतरंगाकृति शिवेकृशे मध्ये किंचिज्जननि तव यद्भाति सुधियाम्विमर्दादन्योन्यं कुचकलशयोरन्तरगतं तनूभूतं व्योम प्रविशदिव नाभिं कुहरिणीम्॥76॥ यमुन लहरी सदृश नीलीसूक्ष्म अति तनु वस्तु कोईप्रान्त कृश तव मध्य मेंप्रतिभात होती सुधि जनों कोकुच कलश के बीच में पिसता…

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सौन्दर्य लहरी (छन्द संख्या 71-75)

सौन्दर्य लहरी का हिन्दी काव्यानुवाद समं देवि स्कन्दद्विपवदनपीतं स्तनयुगं तवेदं नः खेदं हरतु सततं प्रस्नुतमुखम्।यदालोक्याशंकाकुलितहृदयो हासजनकःस्वकुम्भौ हेरम्बः परिमृशति हस्तेन झटिति॥71॥ संग हीयुग तनयषडमुख गजवदनपय स्रवित तेरे कुच युगल का पान करतेजान जिनको भाल ही निजगणाधिप शंकितस्वशिर परफेर अपना शुण्डतुमको हैं बना…