तुम क्यों उड़ जाते काग नहीं !
तुम क्यों उड़ जाते काग नहीं ! व्याकुल चारा बाँटते प्रकट क्यों कर पाते अनुराग नहीं । दायें बायें गरदन…
तुम क्यों उड़ जाते काग नहीं ! व्याकुल चारा बाँटते प्रकट क्यों कर पाते अनुराग नहीं । दायें बायें गरदन…
Photo Source : Google तुमने चुपके से मुझे बुलाया । पूजा की थाली लेकर साँझ सकारे हाथों में, तुम चली…
मुझे मौन होना है तुम्हारे रूठने से नहीं, तुम्हारे मचलने से नहीं, अन्तर के कम्पनों से सात्विक अनुराग के स्पन्दनों…
आचारज जी का आह्वान सुन लपके ही थे कि तिमिरान्ध हो गये (यूँ फगुनान्ध होने को बुलाये गये थे)। बिजली…
’महाजनो येन गतः..’ वाला मार्ग भरी भीड़ वाला मार्ग है नहीं रुचता मुझे, जानता हूँ यह रीति-लीक-पिटवइयों की निगाह में …
तरुणाई क्या फिर आनी है ! चलो, आओ ! झूम गाओ प्रीति के सौरभ भरे स्वर गुनगुनाओ हट गया है…