तरुणाई क्या फिर आनी है ..
तरुणाई क्या फिर आनी है ! चलो, आओ ! झूम गाओ प्रीति के सौरभ भरे स्वर गुनगुनाओ हट गया है…
तरुणाई क्या फिर आनी है ! चलो, आओ ! झूम गाओ प्रीति के सौरभ भरे स्वर गुनगुनाओ हट गया है…
आज सुबह धूप जल्दी आ गयी नन्दू चच्चा को महीने भर का काम मिल गया छप्पर दुरुस्त हो गया आज…
एक पन्ना मिला । पन्ने पर फरवरी २००७ लिखा है, इसलिये लगभग तीन साल पहले की एक अधूरी कविता प्रस्तुत…
बीती रात मैंने चाँद से बातें की । बतियाते मन उससे एकाकार हुआ । रात्रि के सिरहाने खड़ा चाँद तनिक…
पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -१ पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -२ पराजितों का उत्सव :…
पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -१ पराजितों का उत्सव : एक आदिम सन्दर्भ -२ से आगे…. आदमी है…