बिहारी फाग-रंग चढ़ गया है इन दिनों सब पर ! नदा कर चुप बैठा हूँ, ये ओरहन…
घनानंद (राग केदारौ) फाग-रंग चढ़ गया है इन दिनों सब पर ! नदा कर चुप बैठा हूँ,…
तुम क्यों उड़ जाते काग नहीं ! व्याकुल चारा बाँटते प्रकट क्यों कर पाते अनुराग नहीं ।…
आचारज जी का आह्वान सुन लपके ही थे कि तिमिरान्ध हो गये (यूँ फगुनान्ध होने को बुलाये…