बजी पांचवी शंखकथा वाचक द्रुतगामी की।ले प्रसाद जय बोलसत्यनारायण स्वामी की। फलश्रुति बोले जब मन होचूरन हलवा बनवाओबांट-बांट खाओ पंचामृतमें प्रभु को नहलाओ,इससे गलती धुल जायेगीक्रोधी-कामी की। ले प्रसाद जय बोलसत्यनारायण स्वामी की। कलश नवग्रह गौरी गणपतिपर दक्षिणा चढ़ाओ।ठाकुर जी…