बजी पांचवी शंख
कथा वाचक द्रुतगामी की।
ले प्रसाद जय बोल
सत्यनारायण स्वामी की।
फलश्रुति बोले जब मन हो
चूरन हलवा बनवाओ
बांट-बांट खाओ पंचामृत
में प्रभु को नहलाओ,
इससे गलती धुल जायेगी
क्रोधी-कामी की।
ले प्रसाद जय बोल
सत्यनारायण स्वामी की।
कलश नवग्रह गौरी गणपति
पर दक्षिणा चढ़ाओ।
ठाकुर जी को स्वर्ण अन्न
गो का संकल्प कराओ,
सही फलेगी खूब कमाई
तभी हरामी की।
ले प्रसाद जय बोल
सत्यनारायण स्वामी की।
पोथी पर पीताम्बर रख दो
भोजन दिव्य जिमाओ
हर पूर्णिमा-अमावस्या को
यह जलसा करवाओ,
फिर तो चर्चा कभीं न होगी
तेरी खामी की।
ले प्रसाद जय बोल
सत्यनारायण स्वामी की।
ब्राह्मण दीन लकड़हारे की
कह-कह कथा पुरानी
पंडित जी चूकते नहीं
चमकाने में यजमानी,
फोकट में खोली है दुकान
चद्दर रमनामी की।
ले प्रसाद जय बोल
सत्यनारायण स्वामी की।
जय बोल सत्यनारायण स्वामी की ।
बहुत शानदार रचना है भाई! कल चर्चा अनूप जी ने की तो यह मेरी पसंद में होगी।
जय बोल सत्यनारायण स्वामी की..
Regards
सही फलेगी खूब कमाई
तभी हरामी की ।
जय हो प्रभु आपकी. दुखियों के दुख करना स्वामी.
रामराम.
हे राम!
ज्य बोलो बेई…. अरे नही बाबा जय बोलो हिमाशुं स्वामी की