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June 2012

Stories, कहानी, सौन्दर्य-लहरी

कथा प्रसंग: जब शंकर के हृदय से सौन्दर्य लहरी फूट पड़ी

सौन्दर्य लहरी कथा प्रसंग

आचार्य शंकर की दिग्विजय का एक मर्मस्पर्शी कथा प्रसंग दृश्य प्रथम प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण चाहते हो संन्यासी?” तांत्रिक अभिनव शास्त्री का क्रुद्ध स्वर शास्त्रार्थ सभा में गूँजा, तो उपस्थित पंडित वर्ग में छूट रही हल्की वार्ता की फुहारें भी…

नाटक, सत्य हरिश्चन्द्र

राजा हरिश्चन्द्र: नाटक (नौ)

नाट्य-प्रस्तुतियों के इसी क्रम में प्रस्तुत है अनुकरणीय चरित्र ’राजा हरिश्चन्द्र’ पर लिखी प्रविष्टियाँ। सिमटती हुई श्रद्धा, पद-मर्दित विश्वास एवं क्षीण होते सत्याचरण वाले इस समाज के लिए सत्य हरिश्चन्द्र का चरित्र-अवगाहन प्रासंगिक भी है और आवश्यक भी। ऐसे चरित्र…

प्रसंगवश

ग्रीष्म गरिमा: कवि सत्यनारायण- दो

ग्रीष्म शृंखला में ब्रजभाषा से निकली यह ग्रीष्म गरिमा  आपके सम्मुख है, कवि हैं अल्पज्ञात कवि सत्यनारायण। पहली कड़ी के बाद आज दूसरी कड़ी- ग्रीष्म-गरिमा जबै अटकत आपस में बंस, द्रोह दावानल पटकत आय । खटकि चटकत करिवे निज ध्वंस,…

प्रसंगवश

ग्रीष्म गरिमा: कवि सत्यनारायण- एक

गर्मी की बरजोरी ने बहुतों का मन थोर कर दिया है, मेरा भी। वसंत का मगन मन अगन-तपन में सिहुर-सा गया है। कोकिल कूकने से ठहरी, भौरा गुंजरित होने से, फिर अपनी क्या मजाल कि इस बउराती लूह के सामने…