Monthly Archives

December 2012

Ramyantar

तुम नहीं हो, पर यह ’नहीं’ ’नास्ति’ नहीं है..

“वहाँ उपेक्षा कायरता है जहाँ उचित प्रतिकार क्रोध ले न प्रतिशोध तो न हो सीता का उद्धार।” Photo1:Daniel Berehulak;Source:The Atlantic इतिहास के व्योम विस्तार में अनगिन घटनायें उल्कापिण्ड की तरह गिरती उतरती विलीन होती रहती हैं और समय चक्र उसे…

नाटक, सावित्री

सावित्री: विवाह निश्चय

सावित्री: विवाह निश्चय: तृतीय दृश्य (महाराजा अश्वपति का राजदरबार। बन्दी विरद गान कर रहे हैं। आमोद-प्रमोद का हृदय हारी दृश्य। देवर्षि नारद का प्रवेश।) नारद: नारायण! नारायण!महाराजा: देवर्षि के चरणों में राजदरबार सहित अश्वपति का प्रणाम स्वीकार हो। आसन ग्रहण…

General Articles, भोजपुरी

सुरसरि तीरवाँ खड़े हैं दुनो भईया रामा: केवट प्रसंग

केवट प्रसंग रामायण के अत्यन्त सुन्दर प्रसंगों में से एक है, खूब लुभाता है मुझे। करुण प्रसंगों के अतिरेक में यह प्रसंग बरबस ही स्नेहनहास का अद्भुत स्वरूप लेकर खड़ा होता है। विचारता हूँ राम की परिस्थिति को, कैकयी की…

नाटक, सावित्री

सावित्री: सत्यवान

सावित्री व सत्यवान का प्रथम मिलन सावित्री: गुरुदेव! यहीं सरिता तट पर रुक जायें। यहाँ जो जहाँ है सत्य को समर्पित है। सब चिर परिचित सा लग रहा है। ये फूल, यह लहराता वृक्ष, ये सूखी वन की लकड़ियाँ, यह…

नाटक, सावित्री

सावित्री: स्वप्न और औत्सुक्य

यह प्रस्तुति सावित्री के उस स्वयंवर को रेखांकित कराने व स्मरण कराने का भी एक प्रयास है जो सही अर्थों में स्वयंवर कहे जाने योग्य है। सावित्री का यह सम्मानित कथानक स्वयंवर को नवीन अर्थ देने वाला है। उस युग…

नाटक, सावित्री

सावित्री: भूमिका

  यह प्रस्तुति सावित्री के उस स्वयंवर को रेखांकित कराने व स्मरण कराने का भी एक प्रयास है जो सही अर्थों में स्वयंवर कहे जाने योग्य है। सावित्री का यह सम्मानित कथानक स्वयंवर को नवीन अर्थ देने वाला है। उस…