Obstinate are the trammels: A song of Geetanjali by Tagore

A picture of Rabindra Nath Tagore
R.N.TAGORE

Obstinate are the trammels, but my heart aches when
I try to break them.
Freedom is all I want, but to hope for it I feel ashamed.

I am certain that priceless wealth is in thee, and
that thou art my best friend, but I have not the
heart to sweep away the tinsel that fills my room.

The shroud that covers me is a shroud of dust and
death; I hate it, yet hug it in love.

My debts are large, my failures great, my
shame secret and heavy; yet when I
come to ask for my good, I quake in
fear lest my prayer be granted.

हिन्दी काव्यानुवाद : प्रेम नारायण ’पंकिल’

बहुत हठी दृढ़ हैं बाधायें, हैं अवरोध गहन
पर उनके भंजन प्रयास में होता पीड़ित मन॥

जो चाहूँ कर लूँ स्वतंत्रता मुझको सब संभव
किन्तु आस में उसके होता लज्जा का अनुभव,
संभावना मुक्ति की सबपर कृत स्वीकृत बन्धन-
पर उनके भंजन प्रयास में होता पीड़ित मन॥

हमें पूर्ण विश्वास अमोलक तुम हो वैभव खान
तुम्हीं हो मेरे प्रिय, सर्वोत्तम सुहृद महान,
मेरे उर में भरे तुच्छ पर कृत्रिम अलंकरण-
पर उनके भंजन प्रयास में होता पीड़ित मन॥

तुम हो वैभव कोष क्या नहीं तुममें प्राणाधार
हृदय भाव सागर में मेरे पर न उठा यह ज्वार,
दूर बुहार करूँ कृत्रिम वसु जिससे भरा सदन-
पर उनके भंजन प्रयास में होता पीड़ित मन॥

वह अम्बर जिससे आवृत है मेरा तन नश्वर
कोई अपर वसन न अरे, वह धूलि मृत्यु चादर,
उससे घृणा न छोड़ा फिर भी उसका आलिंगन-
पर उनके भंजन प्रयास में होता पीड़ित मन॥

बड़ी हमारी असफलतायें मैं ऋणग्रस्त महान
गुप्त महत् लज्जा का मेरे ऊपर तना वितान
अपने सारे अवगुण गण का कितना करूँ कथन-
पर उनके भंजन प्रयास में होता पीड़ित मन॥

जब जब सम्मुख ले अपनी कल्याण कामना भाव
आता तो भय से जाते हैं काँप हमार पाँव,
कहीं अस्वीकृत हों न हमारे ’पंकिल’ विनय वचन-
पर उनके भंजन प्रयास में होता पीड़ित मन ॥

-गीतांजलि के अन्य भावानुवाद-1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12,13,14,15,16,17,18,19,20,21,22,23,24,25,26,27,28,29,30

Last Update: June 19, 2021