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September 2014

नाटक, सुदामा

बतावत आपन नाम सुदामा: दो

द्वारिकापुरी में सुदामा

पिछली प्रविष्टि बतावत आपन नाम सुदामा: एक से आगे। इस प्रविष्टि में द्वारिकापुरी में सुदामा की उपस्थिति एवं सखा कृष्ण का औत्सुक्य, फिर मिलन-संदेश के उपक्रम में संवादों की प्रभावान्विता दर्शनीय है। दृश्य द्वितीय: द्वारिकापुरी में सुदामा (द्वारिकापुरी का दृश्य।…

Audio, भोजपुरी, लोक साहित्य

सरस भजन: कब सुधिया लेइहैं मन के मीत

कब सुधिया लेइहैं मन के मीत: प्रेम नारायण पंकिल कब सुधिया लेइहैं मन के मीत, साँवरिया काँधा। कहिया अब बजइहैं बँसुरी, दिनवा गिनत घिसलीं अँगुरीकेतना सवनवाँ गइलैं बीत, साँवरिया काँधा॥१॥ कहिया घूमि खोरी-खोरी, करिहैं कृष्ण माखन चोरीहँसि के लेइहैं सबके…

नाटक, सुदामा

बतावत आपन नाम सुदामा: एक

दृश्य प्रथम: सुदामा की कुटिया (सुदामा की जीर्ण-शीर्ण कुटिया। सर्वत्र दरिद्रता का अखण्ड साम्राज्य। भग्न शयन शैय्या। बिखरे भाण्ड, मलिन वस्त्रोपवस्त्रम। एक कोने विष्णु का देवविग्रह। कुश का आसन। धरती पर समर्पित अक्षत-फूल। तुरन्त देवार्चन से उठे सुदामा भजन गुनगुना…