Monthly Archives

April 2017

Poetry, Ramyantar

कविता : आशा

सुहृद! मत देखो- मेरी शिथिल मंद गति, खारा पानी आँखों का मेरे, देखो- अन्तर प्रवहित उद्दाम सिन्धु की धार और हिय-गह्वर का मधु प्यार। मीत! मत उलझो- यह जो उर का पत्र पीत इसमें ही विलसित नव वसंत अभिलषित और…

Capsule Poetry

बादल तुम आना (कविता)

विलस रहा भर व्योमसोममन तड़प रहायह देख चांदनीविरह अश्रु छुप जाँय, छुपानाबादल तुम आना ।। 1 ।। झुलस रहा तृण-पातऔर कुम्हलाया-सामृदु गातधरा दग्ध,संतप्त हृदय की तृषा बुझानाबादल तुम आना।। 2 ।।

भोजपुरी, लोक साहित्य, शैलबाला शतक

शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (तेरह)

भाव कै भूख न भीख कै भाषा सनेह क जानी न मीन न मेखा कवनें घरी रचलै बरम्हा मोके हाँथे न माथे में नेह की रेखाकाँप उठि जम कै टँगरी उघरी हमरी करनी कै जो लेखा एकहु बेर हमै करुनामयि…

भोजपुरी, लोक साहित्य, शैलबाला शतक

शैलबाला शतक: भोजपुरी काव्य रचना (बारह)

करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं शैलबाला शतक के यह छन्द! शैलबाला शतक के प्रारंभिक चौबीस छंद कवित्त शैली में हैं। इन चौबीस कवित्तों में प्रारम्भिक आठ कवित्त (शैलबाला शतक: एक एवं शैलबाला शतक: दो) काली के…

भोजपुरी, लोक साहित्य, शैलबाला शतक

शैलबाला शतक: भोजपुरी स्तुति काव्य (ग्यारह)

शैलबाला शतक स्तुति नयनों के नीर से लिखी हुई पाती है। इसकी भाव भूमिका अनमिल है, अनगढ़ है, अप्रत्याशित है। करुणामयी जगत जननी के चरणों में प्रणत निवेदन हैं शैलबाला शतक के यह छन्द! शैलबाला-शतक के प्रारंभिक चौबीस छंद कवित्त…