शैलबाला शतक स्तुति नयनों के नीर से लिखी हुई पाती है। इसकी भाव भूमिका अनमिल है, अनगढ़…
[एक.] सलीका आ भी जाता सिसक उठता झाड़ कर धूल पन्नों की पढ़ता कुछ शब्द सुभाषित ढूंढ़ता…
नज़र में भरकर नज़र कुछ सिमट जाना, भूलना मत।देखना होकर मगन फिर चौंक जाना, भूलना मत। मौज़…